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Ballia News: गोवंश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले डंबर बाबा की स्मृति में मिश्रौली मार्ग पर लगा विशाल मेला

बेल्थरा रोड, बलिया। गोवंश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले डंबर बाबा की स्मृति में मिश्रौली मार्ग स्थित परती पर बृहस्पतिवार को विशाल मेला लगा। इस दौरान भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने परती पर पूजन अर्चन के पश्चात मेले का आनंद लिया। साथ ही रोजमर्रे की चीजों की खरीदारी के अलावा विविध व्यंजनों का लुत्फ उठाया। श्रद्धालुओं ने परती पर भूसा और प्रसाद चढ़ाया तथा मन्नतें मांगी। मेले में फास्ट फूड के स्टालों पर भीड़ रही। इसके साथ ही गुड़ही जलेबी, पकौड़ी, खजला आदि खाद्य पदार्थों की दुकानें सजाई गईं, जहां लोगों की भीड़ रही। मनोरंजन के लिए झूला, चरखी का प्रबंध रहा, जहां बच्चों ने जमकर आनंद लिया। इस दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए। कहा जाता है कि मुगल काल के दौरान डंबर बाबा एक मुस्लिम शासक के यहां नौकरी करते थे। शासक के पुत्र के विवाह के लिए बारात आजमगढ़ गई हुई थी। जहां शासक ने डंबर बाबा को घोड़े का मालिश करने का हुक्म दिया।

डंबर बाबा ने घोड़े का मालिश करने से इनकार कर दिया। यह बात शासक को नागवार लगी और इसके दूसरे दिन सुबह बाबा के हाथ में तलवार देकर गाय का वध करने का फरमान सुनाया। शासक ने बाबा की पहरेदारी के लिए दो सैनिकों को लगा दिया। बाबा ने तलवार से दोनों सैनिकों का सिर धड़ से अलग कर भाग निकले। शासक के सैनिकों ने बाबा का पीछा किया तथा उन्हें भाला से मार कर घायल कर दिया। आसपास के चरवाहों की मदद से बाबा को यहां मिश्रौली लाया गया, जहां बाबा ने प्राण त्याग दिए। प्रतिवर्ष सावन के चौथे बृहस्पतिवार को बाबा की स्मृति में लगने वाला मेला धार्मिक श्रद्धा और विश्वास का केंद्र है। 52 बीघा भूभाग में परती की भूमि पशुओं के चारागाह के रूप में स्थापित है। किसी ने परती की भूमि पर कब्जा करने का दुस्साहस किया तो उसकी हानि हुई। परती पर कोई झूठी कसम नहीं खाता। सच्चे मन से आराधना करने से बाबा श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।

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