Ballia News: शहीद स्मारक चरौवा गांव के प्रांगण में बलिदान दिवस का आयोजन, स्वतन्त्रता सेनानी राम विचार पांडेय को किया गया सम्मानित
बलिया। देश की आजादी के लिए प्राणों की आहुति देने वाले चरौवा गांव के वीर सपूतों की स्मृति में रविवार को शहीद स्मारक चरौवा गांव के प्रांगण में बलिदान दिवस व शहीद मेला का आयोजन किया गया।इस दौरान लोगों ने वीर सपूतों को नमन किया, वही शहीद स्मारक पर पूरे दिन मेले जैसा माहौल बना रहा। सेनानी राम विचार पांडेय सहित अन्य अतिथियों को ग्राम प्रधान देवेन्द्र यादव द्वारा सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ शहीद स्मारक समिति के अध्यक्ष मार्कण्डेय सिंह, मुख्य अतिथि रामविचार पांडेय व विशिष्ठ अतिथि पूर्व विधायक धनन्जय कनौजिया ने शहीद स्मारक पर झंडारोहण कर शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित किया। झंडारोहण होते ही इंकलाब जिंदाबाद व भारत माता की जय के नारों से पूरा इलाका गुंजयमान हो गया।
इसके बाद मार्कण्डेय सिंह ने कहा कि देश की आजादी में अपनी कुर्बानी देने 7वाले बलिदानियों को तभी सच्ची श्रद्धांजलि होगी, जब हम उनके पदचिन्हों पर चलेंगे। अब हमें संकल्प लेना होगा कि आगे इस शहीद दिवस का भव्य आयोजन हो।
ग्राम प्रधान देवेन्द्र यादव ने कहा कि आज 1942 के बलिदानियों की आत्मा को शांति मिली होगी।अध्यापक श्याम नारायन सिंह ने कहा कि चरौवा गांव 1942 में कैप्टन मूर को नाकों चना चबाने को मजबूर कर दिया था।गांव की महिला मकतुलिया मालिन ने हांडी से कैप्टन मूर का सिर फोड़ दिया था।आज हम सभी को शहीदों नमन करते हुए अपने युवा पीढ़ी को भी आजादी के दीवानों के इतिहास को बताना चाहिए। सबसे बड़ी भक्ति कोई है तो वह देश भक्ति है।
इस दौरान भीमपुरा थाना द्वारा पुलिस व्यवस्था मौजूद रहे।अध्यक्षता चरौवा शहीद स्मारक के अध्यक्ष मार्कण्डेय सिंह व संचालन श्यामनारायण सिंह तथा कार्यक्रम आयोजक ग्राम प्रधान देवेंद्र यादव ने की।
स्वंत्रता संग्राम सेनानी राम विचार पांडेय ने कहा कि चरौवा गांव में 25 अगस्त 1942 को अंग्रेजो के गोलियों से नर- नारी ही नहीं बल्कि पशु भी अपनी शहादत दी थी।शहीदों में मंगला सिंह, शिवशंकर सिंह, खरबियार और नारी शक्ति मकतुलिया मालिन ने देश रक्षा में हँसते हँसते अपने प्राणों की आहुति दे दी थी।
गांव के सेनानी बृज बिहारी सिंह, राधा कृष्ण सिंह, दशरथ सिंह, कपिलदेव सिंह मृगराज सिंह, शम्भूनाथ सिंह, कन्हैया सिंह, श्रीराम तिवारी,कमता व हरि स्वर्णकार को अंग्रेजो ने जेल में डाल दिया। साथ ही कहा कि शहादत को सुनकर फिरोज गांधी भी यहा आये थे। क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों को साल में एक दिन का समय निकालना भी दुर्लभ हो गया है। कार्यक्रम में सत्तासीन विधायक व सांसद का न पहुंचना चर्चा का विषय रहा।