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Lucknow News: लखनऊ के डॉक्टर के साथ ‘डिजिटल अरेस्ट’ स्कैम, गंवाए 48 लाख रुपये

लखनऊ। लखनऊ में एक और डॉक्टर साइबर ठगी का शिकार हो गया, जब ठगों ने डिजिटल तरीके से पैसे ऐंठ लिए। अलीगंज के रहने वाले फिजिशियन डॉ. अशोक सोलंकी (66 वर्ष) जो विकासनगर में एक निजी क्लीनिक चलाते हैं, को 20-21 अगस्त की शाम को उनके घर पर डेढ़ दिन से ज़्यादा समय तक डिजिटल रूप से नज़रबंद रखा गया। लखनऊ पुलिस ने बताया कि दो जालसाज़ों ने उनसे 48 लाख रुपए ठग लिए, जिनमें से एक ने खुद को कूरियर सर्विस का कर्मचारी और दूसरे ने खुद को मुंबई का डीजीपी बताया।

डॉ. सोलंकी की शिकायत पर 22 अगस्त को साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई थी। हालांकि, मामला गुरुवार को ही सामने आया। यह घटना हाल ही में पीजीआई के एक डॉक्टर की डिजिटल गिरफ्तारी के बाद हुई है, जिसे साइबर ठगों ने करोड़ों की ठगी का शिकार बनाया था। सोलंकी ने एफआईआर में कहा कि 20 अगस्त को एक व्यक्ति ने उन्हें फोन किया और खुद को अंधेरी ईस्ट (मुंबई) स्थित एक कूरियर सर्विस का कर्मचारी बताते हुए कहा कि उनके खिलाफ मुंबई क्राइम ब्रांच में एफआईआर दर्ज की गई है।

शिकायतकर्ता ने कहा, “45 मिनट की कॉल के दौरान, कॉल करने वाले ने कहा कि ईरान में रहने वाले अरमान अली के नाम से आपको एक पार्सल भेजा गया है। इसमें फर्जी पासपोर्ट, लैपटॉप, पेन ड्राइव और ड्रग्स हैं। आपके खिलाफ मुंबई क्राइम ब्रांच में एफआईआर दर्ज की गई है और मुझे भी एफआईआर दर्ज करानी चाहिए, जिसके लिए वह मुझे स्काइप वीडियो कॉल पर मुंबई क्राइम ब्रांच के पुलिस वालों से जोड़ देगा।” उन्होंने कहा कि ठग ने उन्हें मुंबई का डीसीपी बताकर एक अन्य ठग से बात कराई।

शिकायतकर्ता ने बताया कि ठगों ने उन्हें करीब डेढ़ दिन तक उनके बेडरूम में डिजिटल तरीके से बंधक बनाए रखा और बाद में उनसे 48 लाख रुपए ट्रांसफर करने को कहा। पीड़ित ने बताया कि ठग ने उनसे कहा कि उनके खाते में करोड़ों रुपए का ट्रांजेक्शन हुआ है और इसकी जांच सीबीआई और ईडी कर रही है। आरोपी ने सोलंकी से कहा, “आपके खाते में जितनी भी रकम है, उसे बताए गए खातों में ट्रांसफर कर दीजिए। आरबीआई जांच करेगा और उसके बाद रकम आपके खाते में वापस भेज दी जाएगी। इससे अपराधियों को पकड़ने में मदद मिलेगी।”

पुलिस ने बताया कि डॉक्टर ने 21 अगस्त को दो किस्तों में 48 लाख रुपए दोनों द्वारा बताए गए खातों में ट्रांसफर कर दिए। इसके बाद न तो पैसे वापस किए गए और न ही कॉल करने वालों ने दोबारा कॉल किया। पीड़ित ने पुलिस को बताया, “बाद में जब मैंने अपने परिवार और दोस्तों से इस मामले पर चर्चा की तो मुझे बताया गया कि मैं साइबर धोखाधड़ी का शिकार हो गया हूं।” साइबर सेल इंस्पेक्टर बृजेश कुमार ने बताया कि एफआईआर दर्ज कर ली गई है और मामले की जांच की जा रही है।

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