लखनऊ उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और यूपी के मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है। केशव प्रसाद मौर्य ने सपा प्रमुख पर जुबानी हमला करते हुए सोशल मीडिया पर लिखा, ‘दीदी ममता बनर्जी के बचाव में निर्ममतापूर्वक दलील देने वाले राहुल गांधी के दरबारी अखिलेश यादव पूरी तरह बलात्कारियों के पैरोकार हो गए हैं। उन्होंने लड़कों से गलती हो जाती है कि यादें ताजा कर दिया है। उन्हें राजनीति छोड़ बलात्कारियों का वकील बन जाना चाहिए।’
इसके बाद अखिलेश यादव ने सोमवार को अपने सोशल मीडिया के जरिए के पोस्ट लिखकर कहा था, ‘कोई ‘उप’ डबल हार के ‘उपहार’ के बाद भी डबल इंजन का प्रशंसा-प्रमाणपत्र बाँट रहे हैं। अगर माननीय सही काम कर रहे होते तो दो ‘उप मुख्यमंत्री’ की क्या ज़रूरत पड़ती।’
सपा प्रमुख ने आगे कहा, ‘इसका मतलब या तो वो सही काम नहीं कर रहे हैं या फिर बाकी दो बेकाम हैं, नाकाम हैं, और उनका काम दरबारी चारण की तरह करना बस स्तुतिगान है। अगर उप सच में उपयोगी होते हैं, तो दिल्ली के मंडल में भी होने चाहिए थे, परंतु हैं नहीं! इसका जवाब देंगे ‘उप’ या रहेंगे ‘चुप’?’
दरअसल, बीते कुछ दिनों से डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और अखिलेश यादव के बीच सीधे तौर पर जुबानी जंग जारी है। अखिलेश यादव ने रविवार को भी केशव प्रसाद मौर्य पर टिप्पणी करते हुए कहा था, ‘वो कुछ हैं ही नहीं वो क्या हैं मुख्यमंत्री डांट देंगे तो वो चुप हो जाएंगे। सच्चाई है मुझे किसी ने बताया कि अगर डांट दें मुख्यमंत्री तो पता नहीं चलेगा कि डिप्टी सीएम है कौन, नहीं मानते तो आप पता कर लेना।’
इसके पहले अखिलेश यादव ने केशव प्रसाद मौर्या को कृपा-प्राप्त उपमुख्यमंत्री बनाया था। उन्होंने 69000 शिक्षक भर्ती मामले में कहा की दर्द देनेवाले, दवा देने का दावा न करें।
सपा प्रमुख ने कहा, 69000 शिक्षक भर्ती मामले में उत्तर प्रदेश के एक ‘कृपा-प्राप्त उप मुख्यमंत्री जी’ का बयान भी साज़िशाना है। पहले तो आरक्षण की हक़मारी में ख़ुद भी सरकार के साथ संलिप्त रहे और जब युवाओं ने उन्हीं के ख़िलाफ़ लड़कर, लंबे संघर्ष के बाद इंसाफ़ पाया, तो अपने को हमदर्द साबित करने के लिए आगे आकर खड़े हो गये।
सपा प्रमुख ने आगे कहा, दरअसल ये ‘कृपा-प्राप्त उप मुख्यमंत्री जी’ शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों के साथ नहीं हैं, वो तो ऐसा करके भाजपा के अंदर अपनी राजनीतिक गोटी खेल रहे हैं। वो इस मामले में अप्रत्यक्ष रूप से जिनके ऊपर उँगली उठा रहे हैं, वो ‘माननीय’ भी अंदरूनी राजनीति के इस खेल को समझ रहे हैं।
शिक्षा और युवाओं को भाजपा अपनी आपसी लड़ाई और नकारात्मक राजनीति से दूर ही रखे क्योंकि भाजपा की ऐसी ही सत्ता लोलुप सियासत से उप्र कई साल पीछे चला गया है।”